प्रश्न - पति और पत्नी का आपस में कैसा व्यवहार होना चाहिए?
उत्तर - पति का यह भाव होना चाहिए कि ये अपने माता-पिता, भाई आदि सबको छोड़कर मेरे पास आई है तो इसने कितना बड़ा त्याग किया है! अतः इसको किसी तरह का कष्ट न हो, शरीर निर्वाह के लिए इसको रोटी, कपड़े, स्थान आदि की कमी न हो, मेरी अपेक्षा इसको ज्यादा सुख मिले। ऐसा भाव रखने के साथ-साथ उसके पातिव्रत धर्म का भी खयाल रखना चाहिए।, जिससे वह उच्छृङ्खल न बने और उसका कल्याण हो जाए।
पत्नी का यही भाव रहना चाहिए कि मैं अपने गोत्र और सब कुटुम्बियों आदि का त्याग करके इनके पास आई हूँ तो समुद्र लाँघकर अब किनारे आकर मैं डूब ना जाऊँ अर्थात् मैं इतना त्याग करके आयी हूँ तो अब मेरे कारण इनको दुःख न हो, इनका अपमान, निन्दा, तिरस्कार न हो। अगर मेरे कारण इनकी निन्दा आदि होगी तो बड़ी अनुचित बात हो जाएगी। मैं चाहे कितना ही कष्ट पा लूँ पर इनको किञ्चिन्मात्र भी कष्ट न हो। इस तरह वह अपने सुख-आराम का त्याग करके पति के सुख-आराम का खयाल रखे, उनका लोक-परलोक कैसे सुधरे इसका ख़याल रखे।
🚩 स्वामी रामसुखदास जी महाराज 🚩
🚩 पुस्तक - 'गृहस्थ में कैसे रहें' 🚩
🚩 गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित 🚩